शिव आरती: महादेव की महिमा का गान
भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं की पूजा और आराधना विशेष महत्व रखती है। शिव जी, भगवान शिव, हमारे संस्कृति में एक महत्वपूर्ण देवता हैं और उनकी पूजा का महत्व अत्यधिक है। शिव आरती हिंदी में भगवान शिव के समर्पण, आराधना, और प्रशंसा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें उनकी महिमा का गान होता है। इस लेख में, हम शिव आरती के महत्व और इसके अर्थ को जानेंगे, साथ ही इसका पाठ करने की विधि को भी देखेंगे।
शिव आरती का महत्व:
शिव आरती एक पूजा अद्भुत कार्यक्रम है जिसमें भगवान शिव की पूजा और प्रशंसा की जाती है। इसका महत्व धार्मिक, मानसिक, और आध्यात्मिक होता है। यह आरती भगवान शिव के गुणों, गुणगणों, और कार्यों का स्तुति करने का एक माध्यम है और भक्तों के द्वारा उनके प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक होता है।
शिव आरती के फायदे:
मानसिक शांति: शिव आरती हिंदी में पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है। यह मन को प्राणी और चिंता से मुक्त करने में मदद करता है और आत्मा को शांति की ओर ले जाता है।
समर्पण भाव: शिव आरती के पाठ से भक्त अपने जीवन को भगवान के समर्पण में करते हैं। इसके द्वारा, वे अपने आपको भगवान के साथ मिलाते हैं और समर्पण का भाव विकसित करते हैं।
धार्मिक महत्व: शिव आरती का पाठ करने से भक्त अपने धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन को सुधारते हैं। यह उन्हें धार्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करता है।
संयम और शक्ति: शिव आरती के पाठ से भक्त अपने आपको संयमित रखने में सहायक होता है और उन्हें आत्मा की ऊर्जा और शक्ति की आवश्यकता होती है।
शिव आरती का पाठ कैसे करें:
शिव आरती को पाठ करने के लिए कुछ सामग्री और विधि की जरुरत होती है। यहां एक सरल तरीका दिया गया है:
सामग्री:
शिव आरती हिंदी में पाठ करने के लिए एक छोटी सी आरती की पुस्तक की आवश्यकता होती है, जिसमें शिव जी की महिमा और गुणों का वर्णन होता है।
एक छोटी सी दीपक की आवश्यकता होती है, जिसे घी या तिल के तेल से भरकर रखें।
पूजा के लिए फूल, धूप, और नैवेद्य की आवश्यकता होती है।
पाठ की विधि:
शिव आरती का पाठ सफाई और शुद्धि के साथ करें।
पूजा स्थल पर बैठें और मन को शांत करें।
दीपक को प्रज्वलित करें और उसे शिव मूर्ति के सामने रखें।
शिव आरती की पुस्तक को ध्यान से खोलें और आरती का पाठ करें।
आरती के अंत में, दीपक की दिशा में घूमाकर फिर शिव मूर्ति के सामने रखें।
फूल, धूप, और नैवेद्य को भगवान शिव के प्रति समर्पित करें।
मन में शिव जी के प्रति भक्ति और समर्पण का भाव रखें।
आरती के पाठ के बाद, ध्यान में बैठकर भगवान शिव का ध्यान करें और उनकी कृपा का प्राप्ति करें।
शिव आरती के बोल:
यहां शिव आरती के कुछ महत्वपूर्ण बोल दिए जा रहे हैं, जो भगवान शिव की महिमा का गान करते हैं:
ॐ जय शिव ओमकारा,
स्वामी जय शिव ओमकारा,
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्धांगी धारा.
एकानन चतुरानन पंचानन राजे,
हंसानां गरुड़ासन वृषभान सजे।
ॐ जय शिव ओमकारा…
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज ते सोहे,
स्वामी दास भुज ते सोहे,
तिनों रूप निराखते त्रिभुवन जन मोहे।
ॐ जय शिव ओमकारा…
अक्षमाला वनमाला मुंडमाला धारी,
चंदन मृगमद सोहे, भले शशि धारी।
ॐ जय शिव ओमकारा…
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे,
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे।
ॐ जय शिव ओमकारा…
कर पुरुष श्रेष्ठ कमंडलु चक्र त्रिशूल,
जग कर्ता जग हर्ता जग पालन करता।
ॐ जय शिव ओमकारा…
ब्रह्म विष्णु सदाशिव जानत अविवेक,
प्रणवाक्षर में शिव गुण गावेका।
ॐ जय शिव ओमकारा…
जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्धांगी धारा।
ॐ जय शिव ओमकारा…
धूप दीप फल मेवा मान सिन्दूर लेपित,
ॐ हर शिव शंकर अपनी कृपा करो प्रभु देत।
ॐ जय शिव ओमकारा…
शिव आरती जो कोई नर दे,
कहत शिवानंद स्वामी मन वंचित फल पावे।
ॐ जय शिव ओमकारा…
ॐ जय शिव ओमकारा,
स्वामी जय शिव ओमकारा,
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्धांगी धारा |
इस प्रकार, शिव आरती के बोल भगवान शिव की महिमा का गान करते हैं और भक्तों को उनके अद्वितीय गुणों का अनुभव कराते हैं।
समापन:
शिव आरती भगवान शिव की महिमा का गान करने का एक अद्वितीय तरीका है और इसका महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत उच्च होता है। यह आरती भक्तों को मानसिक शांति, समर्पण भाव, और धार्मिक संवाद का माध्यम प्रदान करती है। शिव आरती को नियमित रूप से पाठ करके, हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं और भगवान शिव के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, शिव आरती का पाठ करके हम अपने आत्मा की ऊर्जा को नया दिशा दे सकते हैं और जीवन को मानवीयता और धार्मिकता की दिशा में अग्रसर कर सकते हैं